कमलनाथ सरकार के राज में लघु समाचार पत्र पत्रिकाओं के साथ जनसंपर्क विभाग के अधिकारी कर रहे हैं भेदभाव

भोपाल मध्यप्रदेश। जनसंपर्क विभाग--
 कमलनाथ सरकार के राज में लघु समाचार पत्र पत्रिकाओं के साथ जनसंपर्क विभाग के अधिकारी कर रहे हैं भेदभाव जनवरी 2019 से विभाग में बैठे अधिकारी नई  नीति के बहाने छोटे समाचार पत्र पत्रिकाओं के संपादकों को  परेशान किया जा रहा है। जबकि बड़े कारपोरेट घरानों को पीछे के दरवाजे से करोड़ों रुपए के विज्ञापन बांट दिए  हैं जिसका किसी अधिकारियों के पास कोई जवाब नही।भाजपा से विधायक उमाकांत शर्मा  ने जून 2019 में विधानसभा में जानकारी मांगी जनसंपर्क मंत्री पीसी शर्मा से  दिसंबर 2018 से जून 2019 के बीच में विज्ञापन कितने दिए गए जिसमें  जानकारी निकल कर आई इलेक्ट्रॉनिक एवं प्रिंट मीडिया को लगभग ₹55 करोड़ के विज्ञापन दिए गए। 10 मार्च 2019 से देश में आदर्श आचार संहिता लग गई थी। जनसंपर्क मंत्री ने विधानसभा में जो जानकारी दी गई जिसमें जनसंपर्क विभाग ने मार्च-अप्रैल मई माह में 26 करोड़ के विज्ञापन दिए गए लेकिन किसको ? 10 मार्च से 23 मई 2019 तक लोकसभा चुनाव था। जब इस मामले को लेकर सूचना के  अधिकार में जनसंपर्क विभाग से जानकारी मांगी गई लेकिन जानकारी तो अभी तक मिली नहीं और पिछले 3 माह से अपीलीय अधिकारी चौधरी सुबह-शाम घुमा रहे।  इसके पीछे का तर्क क्या है यह तो वही जाने *अब राज्य सूचना आयोग जाने की तैयारी लोकसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस पार्टी का माहौल बनाने के लिए फाइलों में करोड़ों  के विज्ञापन दे दिए जिसका कोई रिकॉर्ड नहीं है  विभाग के पास इसके बावजूद भी मध्यप्रदेश में कांग्रेस को मात्र एक सीट से संतुष्ट होना पड़ा जबकि मोदी लहर में सारे कांग्रेस प्रत्याशी बह गए। फिर भी कमलनाथ सरकार नहीं जागी लघु समाचार पत्र पत्रिकाओं के साथ कमलनाथ सरकार दमनकारी चक्र चला रहा है पिछले 1 साल में प्रदेश में कुछ समाचार पत्र  बंद हो गए और कुछ बंद होने की कगार पर है। 


जब के जनसंपर्क विभाग पिछले 1 साल से बजट का रोना रो रहा है!लेकिन ऐसा नहीं है जनसंपर्क विभाग द्वारा रोज किसी न किसी को जनसंपर्क मंत्री के करीबियों को विभाग विज्ञापन जारी कर रहा हैं।
प्रदेश के कुछ पत्रकार संगठन जनसंपर्क विभाग की नीतियों के खिलाफ रणनीति तैयार कर रहे हैं जो कि  एक बड़ा आंदोलन खड़ा होने जा रहा है। अभी तो यह अंगड़ाई है आगे और लड़ाई है